दैनिक भास्कर डॉट कॉम से बातचीत करते हुए कविता ने बताया कि दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीटच्यूट ऑफ मेडिकल सांइस (एम्स) में बंदरों के ऊपर जो प्रयोग किए जा रहे हैं, उससे वे बहुत दुखी हैं । उनसे जानवरों की पीड़ा देखी नहीं जा रही है। यही कारण रहा कि उन्होंने जानवरों को बचाने के लिए अपने कपड़े उतार दिए। लेकिन इस बार कपड़े नहीं बल्कि वे भूख हड़ताल का सहारा लेंगी।
उन्होंने बताया कि दुनिया में कहीं भी जानवरों पर अत्याचार होगा, वह आवाज उठाती रहेगी। इसके लिए वे कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार हैं।
कविता राधेश्याम को इंटरनेशनल ऑग्रनाइजेशन फॉर एनीमल प्रोटेक्शन की ब्रांड एंबेसडकर हैं। संस्था के भारत के अध्यक्ष नरेश कदान ने बताया कि जब हमनें कविता ने जानवरों की हिफाजत के लिए संपर्क किया तो वे तुरंत तैयार हो गईं। उम्मीद है कि कविता की वजह से देश में जानवरों के ऊपर अत्याचार को कम करने में मदद मिलेगी। कविता से पहले पामेला एंडरसन ने भी एम्स को एक पत्र लिख तुरंत बंदरों पर प्रयोग बंद करने की अपील कर चुके हैं। कदान ने भी एम्स को एक नोटिस भेजा है।
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